पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६७५

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लॉर्ड ऐमहर्ट

लॉर्ड ऐमहर्ट २०७१ बरमा के साथ सन्धि अनकरीब इसी समय इसी तरह के उपायों से लॉर्ड ऐमहर्ट ने अलवर की रियासत को भी अपने अधीन कर लिया। भरतपुर के पतन के समाचार ने बरमा दरबार की हिम्मतों ___ पर भी अपना असर डाला । उस दरबार के " कई सामन्तों को इस बीच अंगरेज़ अपनी साज़िशों द्वारा तोड़ चुके थे। अन्त में यन्दाबू नामक स्थान पर अंगरेज़ कम्पनी और बरमा दरबार के बीच मन्धि हो गई । इतिहास लेखक विलसन लिखता है कि इस युद्ध से दोनों पक्षों को गहरी हानि उठानी पड़ी। अंगरेजों को बेहद धन खर्च करना पड़ा और उनकी ओर असंख्य जाने गई । बरमा दरबार की धन और जन की हानि के अतिरिक्त उस साम्राज्य के कई सामन्त नरेश जो बग्मा दरबार को खिराज देते थे और जिनके प्रान्त उस साम्राज्य का एक अंग थे, अब सदा के लिए उससे पृथक हो गए। बरमा युद्ध के पश्चात् लॉर्ड ऐमहर्ट ने दिल्ली जाकर मुगल सम्राट से भेंट करने का विचार किया। इस भेट से लॉर्ड ऐमहर्ट prevalence of the practice of obtaining loans from them At the end of 1825, the King of Oudh lends : 10,00,000 sterling , £ 5,00,000 for two years the next year The Baiza Bal, after Scindhia's decease, lent£ 8,00,000 In the general loans which were contracted, we find smaller chiefs contributing ther quota, the Raja of Nagpur : 50,000, the Raja of Benares £20,000. even the unfortunate Baji Rao, the Ex-Peshwa refunding a very considerable sum for the purpose out of the savings from his pension "--John Malcolm Ludlow in his British India, vol l, p 65