लॉर्ड ऐमहर्ट २०६६ दखल देने का कोई अधिकार न था और न इस विषय की कोई सन्धि अंगरेजों और भरतपुर के बीच हुई थी। मेटकॉफ़ यह भी साफ़ लिखता है कि भरतपुर पर हमला करना केवल इसलिए श्रावश्यक था, क्योंकि पिछली हार की जिल्लत को धोना और फिर से अंगरेजी सत्ता की धाक जमाना उस समय अंगरेजों के लिए ज़रूरी था ।* सम्भव है कि गही का झगड़ा भी अंगरेजों ही का खड़ा किया हुश्रा हो और उसे बढ़ाने में "गुप्त उपायों" से खूब काम लिया गया हो। भरतपुर के किले के इस समय के पतन से भारत में कम्पनी का इलाका नहीं बढ़ा, किन्तु कम्पनी की सैनिक कीर्ति अवश्य फिर से कायम हो गई। भरतपुर के पतन के बाद गोरे अफसरों और सिपाहियों ने ____ नगर के असहाय लोगों के ऊपर जो अत्याचार नगर पर अत्याचार किए उनका कुछ अनुमान नीचे लिखे दो उद्धरणों से किया जा सकता है। मेजर ऑरचर २६ जनवरी सन् १८२८ को लिखता है- "हम लोगों के खाना खाने के बाद कुछ भाँड पाए, और उन्होंने हमारी भरतपुर विजय की अत्यन्त हास्योत्पादक नक़ल करके हमें हंसाया। इस • "It is acknowleged as a general principle, that we ought not to interfere in the internal affairs of other states , __the capture of Bharatpur, would dous more honour throughout India, by the removal of the hutherto unfaded impressions caused by ovr former failure, than any other event that can be concerved "-Kaye's Selections from the Papers of Lord Metcalfe, pp. 122-131
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लॉर्ड ऐमहर्ट