पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६६६

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१०६३
लॉर्ड ऐमहर्ट

लॉर्ड ऐमहर्ट १०६३ मेटकॉफ़ लिखता है- "अपनी सेनाओं को अपने ही तोपखाने से उड़ा देना, खास कर उन सेनाओं को, जिनको वफ़ादारी पर हमारे साम्राज्य का अस्तित्व निर्भर है, अत्यन्त भीषण कार्य है।"* बैरकपुर के इस हत्याकाण्ड की ओर संकेत करते हुए प्रसिद्ध तत्ववेत्ता हरबर्ट स्पेन्सर ने हाल में लिखा था- __"आज हम लोगों के समय तक वह कपटी निष्ठुर शासन बराबर जारी है जो देश की पराधीनता को कायम रखने और उसे बढ़ाने के लिए देशी सिपाहियों ही का उपयोग करता है-इसी निष्ठुर शासन के नीचे अभी बहुत अधिक वर्ष नहीं हुए कि देशी सिपाहियों की एक पूरी पलटन इसलिए जान बूझ कर बध कर डाली गई, क्योंकि सिपाहियों ने बिना उचित कपड़ों के कूच करने से इनकार किया।" अब हम फिर बरमा युद्ध की ओर आते हैं। अंगरेजों ने जब . देख लिया कि केवल वीरता या युद्ध कौशल के ___बल हम बरमियों को विजय नहीं कर सकते, तो की साज़िशे " उन्होंने बरमी साम्राज्य के विविध प्रान्तीय शासकों और वहाँ की प्रजा को अपनी ओर करने के लिए पानी की • "It is an awful thing to mow down our own troops with our own artillery, specially those troops on whose fidelity the existence of our Empire depends."-Kaye's Selections from the Papers of Lord Metcalfe, p. 153 + "Down to our own day continues the cunning despotism which uses native soldiers to maintain and extend native subjection-adespotism under which, not many years since a regiment of sepoys was deliberately massacred for refusing to march without proper clothing | "- Herbert Spencer