पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६४९

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भारत में अंगरेज़ी राज

१०४६ भारत में अंगरेजी राज युक्ति सनत है । उस देश के समुद्र तट और प्रान्त हमारे हमले के लिए खुले हैं, और उनकी रक्षा का कोई सामान नहीं है। हमारे इलाके का केवल एक हिस्सा है जहाँ तक घरमी सेनाएँ पहुँच सकती हैं, उसकी हम प्रासानी से और सफलता के साथ रक्षा कर सकते हैं । इसलिए इसमे कुछ भी सन्देह नहीं हो सकता कि युद्ध में हमें शीघ्र और पूरी तरह विजय प्राप्त होगी। ____स्पष्ट है कि कम्पनी सरकार क्या चाहती थी और कप्तान कैनिङ्ग को भेजने का वास्तविक उद्देश क्या था। यह भी स्पष्ट है कि उस समय तक कोई किसी प्रकार का बहाना बरमा दरबार की ओर से युद्ध का न मिल सकता था। इन धावों और लूट मार के अतिरिक्त और भी कई तरह की छेड़ छाड़ अंगरेज़ों और बरमा के बीच जारी अन्य छाई थी। उदाहरण के लिए कम्पनी ने उन दिनों हाथी का शिकार करने के लिए अनेक लोग अपने यहाँ नौकर रख रकले थे। ये लोग बार बार कम्पनी की सरहद के उस पार बरमा की राम नामक पहाड़ियों में जबरदस्ती घुम कर वहाँ से हाथी पकड़ लाते थे । अनेक बार बरमा दरबार के कर्मचारियों ने इनमें से कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया। फिर भी इस तरह की ज़बरदस्तियाँ बराबर जारी रहीं और सन् १८२१ में भी जारी थीं। तीसरा एक और झगड़ा तिजारती माल के महसूल के विषय तिजारती माल के में था। अंगरेजो की अनेक माल से लदी हुई महसूल का झगड़ा किश्तियाँ बरमा की नाफ नदी में प्रवेश करती --

  • Lord into to the Dires tors, 1st \ugust, 1812