पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६४५

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भारत में अंगरेज़ी राज

१०४२ भारत में अंगरेजो राज में लूट मार मिराटो के समय में, मई ___“बङ्गान की सरकार ने यह निश्चय कर लिया था कि इन नए पाग- न्तुकों का एक स्थायी उपनिवेश बना कर उन्हें हर तरह की सुविधाएँ दी जायँ, और जिले के दक्खिनी भाग में जो खाली जमीनें पड़ी हुई थीं, वे उन्हें दं दी गई।"* इसके बाद इन्हीं अराकानियों के ज़रिए कम्पनी के प्रतिनिधियों ने बरमा के अराकान प्रान्त पर हमले कराना बरमा के इलाके

  • और लूट मार कराना शुरू कर दिया। लॉर्ड

मिण्टो के समय में, मई सन् १८१२ में इन लोगों ने किङ्गबेरिङ्ग के अधीन कम्पनी के इलाके में निकल कर बरमा के इलाके पर धावा मारा और बहुत मा सामान लूट का साथ लंकर फिर कम्पनी के इलाके में लौट आए । लॉर्ड मिण्टो ने डाइरेक्टरों के नाम अपने २३ जनवरी सन् १८१२ के पत्र में किनबेरिङ्ग और उसके हमले का पूरा हाल दिया है, जिसमें बरमा के महाराजा और किङ्गबेरिङ्ग के परस्पर वैमनस्य का भी जिक्र किया गया है। इस पत्र में साफ लिखा है कि किङ्गबेरिङ्ग अंगरेज़ी इलाके में रह कर सन् १७६७ से इस हमले की तैयारी कर रहा था और चट्टग्राम में उसने ज़बरदस्त दल जमा कर रखा था। इस पर बरमा के दरबार का यह समझना कि किनबेरिङ्ग का हमला अंगरेजों के उकसाने और उनकी मदद से हुश्रा, यथार्थ था। बरमा के माथ उस समय • “ The Government of Bengal had resolved to admit the emigrants to the advantages of permanent colonisation, and assigned them unoccupied lands in the southern portion of the district"-Mill, vol 1x pi1