पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६२३

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१०२२
भारत में अंगरेज़ी राज

१०२२ भारत में अंगरेजी राज महल से हटाने का प्रयत्न किया। किन्तु अंगरेज़ी सेना को बेहद नुकसान उठाना पड़ा । वीर और वफ़ादार अरब अपने स्थान से न हिले। कम्पनी की सेना को दूसरी बार हार कर पीछे हट जाना पड़ा। ___ इसके बाद फिर ५ दिन तक अरबों के साथ समझौते की बात चीत होती रही। अप्पा साहब ने भी अरबों पर महल छोड़ देने के लिए काफ़ी ज़ोर दिया। अन्त में मालूम नहीं किन शर्तों पर ३० दिसम्बर को प्रातःकाल नागपुर महल की संरक्षक अरब सेना महल से बाहर निकली । एक अंगरेज़ अफ़सर अरबों और उनके कुटुम्बियो को पहुँचाने के लिए मलकापुर तक उनके साथ गया। ३० दिसम्बर को दोपहर के समय कम्पनी की सेना ने अरक्षित नगर और महल पर कब्जा कर लिया। निस्सन्देह भोसले गज के अस्त होने के दृश्य में इन वीर अरबों की अदम्य स्वामिभक्ति ही एक मात्र तेज की किरण थी। गवरनर जनरल हेस्टिंग्स और रेज़िडेण्ट जेनकिन्स की सभी . इच्छाएं पूरी हो गई। किन्तु राजा अप्पा साहब अप्पा साहब के की आशाएँ फिर एक बार झूठी साबित हुई। अप्पा साहब के रेजिडेन्सी में आने पहले उससे यह साफ़ वादा कर लिया गया था कि आपके राज का कोई भाग श्राप से न लिया जायगा। किन्तु इस वादे के विरुद्ध राजा अप्पा साहब से कहा गया कि आप केवल निम्नलिखित शर्तों पर नागपुर का तख्त वापस ले सकते हैं- साथ दग़ा