पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६१६

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तीसरा मराठा युद्ध

तीसरा मराठा युद्ध १०१५ खिलमत पेशवा से अभी तक अंगरेज़ों की लड़ाई शुरू न हुई थी। इसलिए ___यह खिलश्रत पूना के रेज़िडेण्ट एलफिन्सटन की पेशवा की जानकारी में और उसकी अनुमति से भेजी गई। नवम्बर सन् १८.७ में खिलअत नागपुर पहुँची। खिलश्रत के पहिने जाने के लिए जो विशेष दरबार होने वाला था उसमें राजा अप्पा साहब ने विधिवत् जेनकिन्स को भी निमन्त्रित किया । जेनकिन्स ने दरवार में जाने से इस बिना पर इनकार कर दिया कि पेशवा को खिलश्रत को म्वीकार करना नागपुर के राजा के लिए कम्पनी की ओर शत्रुता दर्शाने के तुल्य है । अप्पा साहब ने इसके उत्तर में रेज़िडेण्ट को विश्वास दिलाया कि आपकी आशङ्का निर्मूल है। किन्तु जेनकिन्स पर इसका कोई असर न हुश्रा । दरबार हुश्रा, खिलअत पहनी गई, किन्तु जनकिन्स दरबार में न पहुँचा। अप्पा साहब ने इस समय रेज़िडेण्ट के व्यवहार की कुछ शिकायते गवरनर जनरल को लिख कर भेजीं। अप्पा साहब की को उनसे मालूम होता है कि कम्पनी की विशाल .... ... शिकायतें सना के उपयोग के लिए जितना अनाज और अन्य सामान नागपुर श्राता जाता था उस पर अंगरेज़ एक पाई महसूल की न देते थे, जितनी मबसीडीयरी सेना अंगरेज़ों ने 'नागपुर में रख रक्खी थी और जिसका सारा खर्च वे अप्पा साहब से माँगते थे वह २४ अप्रैल सन् १८१६ वाले सन्धिपत्र से कहीं अधिक थो; इत्यादि । अप्पा साहब की प्रार्थना केवल यह थी कि