पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६१३

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तीसरा मराठा युद्ध

तीसरा मराठा युद्ध २०१३ जो नई सबसीडीयरी सन्धि कम्पनी और अप्पा साहब के बीच हुई उसके अनुसार अप्पा साहब ने भोसले राज की ओर से बीस लाख से लेकर तीस लाख रुपए सालाना तक कम्पनी को देने का वादा किया; किन्तु राज की कुल वार्षिक आय करीब साठ लाख रुपए थी । इतिहास लेखक विलसन लिखता है- ___"इस सन्धि की शर्ते कुछ सहत थीं, और सबसीडी की रकम राज की वार्षिक प्राय के मुनासिब औसत से ज्यादा थी, यही बोझ रियासत के लिए बहुत अधिक था और इस पर विशेष सेना का खर्च और बढ़ा दिया गया। राजा को इस बात की शिकायत करने की काफी वजह थी कि उसके नए मित्रों की मित्रता उसे मँहगी पड़ी।"* स्वभावतः नागपुर के सभी समझदार नीतिज्ञ और दरबारी इस सन्धि के विरुद्ध हो गए । बाला साहब के बाला साहब की । का पक्ष वालों की संख्या बढ़ने लगी। रेज़िडेण्ट . जेनमिन्स को डर हो गया कि जब तक बाला साहब जीवित है, सम्भव है कि उसके पक्ष के लोग किसी दिन इस सन्धि को रद्द कराने का प्रयत्न करें। अचानक पहली फरवरी सन् १८१७ को प्रातःकाल जब कि अप्पा साहब किसी कार्यवश नागपुर से बाहर गया था, बाला साहब अपने बिस्तर पर मरा हत्या . "The conditions of the treaty were somewhat severe, and the ainount of the subsidy exceeded a due proportion of the revenues of the country. The charge of the contingent was an addition to a burthen already too weighty for the state, and the Raja had some grounds for complaining of the costliness of his new friends "-Mill, vol, vul, p 186