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( २ )
सोलवाँ अध्याय
अवध और फर्रुखाबाद
अवध हिन्दोस्तान का बाग़-अवध के रेज़िडेण्ट-१७६८ की सन्धि- पज़ीर अली से झगड़ा-नवाब सम्प्रदत अली से नई माँगे-नवाब के साथ जबरदस्ती-आधी रियासत का छीन लिया जाना—सन्धि अथवा डाका-फर्रुखाबाद की रियासत का अन्त ।
पृष्ठ ५१५-१०६
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सत्रवाँ अध्याय
तओर राज का अन्त
अंगरेज़ों के उपर तोर के राजा के अहसान-राजा प्रतापसिंह के साथ दगा-साहू जी के साथ विश्वासघात-तोर पर हमला-लूट- सन्धि और उसका उलंघन-सबसीडीयरी सन्धि का आल-राजा अमर सिंह के विरुद्ध साज़िश-भेदों का खुलना-खुली ज़बरदस्ती-तोर पर कब्जा ।
पृष्ठ २०७-५१७
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अठारवाँ अध्याय
करनाटक की नवाबी का अन्त
करनाटक की नवाबी और अंगरेज़-उमदतुल उमरा के साथ वेल्सली का पत्र व्यवहार-नवाब पर मूठे इलज़ाम-नवाब की मृत्यु और अंगरेजों का सुअवसर-करनाटक की नवाबी का अन्त-शहज़ादे भली हुसेन की हत्या-भारत में कम्पनी की नीति ।
पृष्ठ ५१८-५३२
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