तीसरा मराठा युद्ध १००१ मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की है । गोखले के विषय में एक विद्वान अंगरेज, जो स्वयं खड़की की लड़ाई में मौजूद था, लिखता है- "गोखले के भावों का श्रादर न करना असम्भव है।xxx इतिहास की देवी अपने देश के लिए सच्ची भक्ति और सेवा का सेहरा गोखले के सर बाँधेगी।"* किन्तु गोखले की देशभक्ति, उसके युद्ध कौशल या उसकी वीरता किसी से भी काम न चल सका । बाला बापू गोखले जी पन्त नातू और यशवन्तराव घोरपड़े जैसों के प्रताप से पेशवा को सेना अनेक विश्वासघातको से छलनी छलनी हो चुकी थी। ये लोग न केवल पद पद पर अपने यहाँ की खबरे हो अंगरेजों को पहुँचाते रहते थे, वरन् गोखले के प्रयलों को असफल करने की भी अपनी शक्ति भर कोशिश कर रहे थे। जनरल स्मिथ की संना पहले मैदान में पहुँची। कग्नल बर की मना इसके कुछ बाद श्राकर मिली। गोखलं की इच्छा थी कि करनल बर की सेना के श्राने से पहले ही जनरल स्मिथ की सेना पर हमला कर दिया जाय । किन्तु उसके कुछ नमकहराम साथियों ने उसकी इस इच्छा को पूरा न होने दिया। इसके अतिरिक्त पूर्वोक्त अंगरेज लिखता है कि-' x x x गोखले की फ़ौजे ऐन मौके पर उसका साथ छोड़ कर चल दीं।" • "lt is impossible not to respect the spirit of Gokhale . the Muse of history will encircle his name with a laurel for fidelity and devotion in his country's cause "-Fifteen Years in India, etc , pp 304, 505 " . his troops deserted him in the hour of tmal "- tbid, p 492
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तीसरा मराठा युद्ध