पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५९१

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तीसरा मराठा युद्ध

तीसरा मराठा युद्ध ६६५ बाजी जनरल ने एलफिन्सटन की सिफारिश को खुशी से मजूर कर लिया। एलफिन्सटन के दूसरे विश्वस्त मित्र का नाम यशवन्तराव घोरपड़े था। पेशवा के विरुद्ध झूठी सञ्ची शहादले जमा करने में यशवन्तगव ने पलफ़िन्सटन को बहुत बड़ी सहायता दी। एलफिन्सटन अब पेशवा के साथ युद्ध का कोई बहाना ढूंढ़ रहा था। एलफिन्सटन ने अपने ६ अप्रैल सन् राव के साथ १८१७ के रोजनामचे में साफ लिखा है- "मैं जबरदस्ती ____ समझता हूँ, पेशवा के साथ कोई झगड़ा हो जाना बड़ा अच्छा है।"* कहा गया कि त्रयम्बकजी थाने के किले से भाग कर फिर पेशवा के इलाके में छिपा हुआ है । एलफ़िन्सटन ने कम्पनी की ओर से पेशवा बाजीराव के सामने यह मांग पेश की कि एक महीने के भीतर त्रयम्बकजी अंगरेजों के हवाले कर दिया जाय और इस बीच बतौर जमानत पेशवा के तीन किले सिंहगढ़. पुरन्धर और रायगढ़ फौरन् कम्पनी के सुपुर्द कर दिए जायें। किन्तु इस बार भी एलफिन्सटन और लॉर्ड हेस्टिंग्स की वास्तविक इच्छा पूरी न हुई । एलफ़िन्सटन दूसरी बार अंगरेजी सेना से पूना के नगर को घेरने वाला ही था जब कि - मई सन् १८१७ को कायर बाजीराव ने, जो युद्ध के लिए बिलकुल तैयार


___- "I think aquarrel with the Peshwa desirable "--Elphanston's Diary, 6th April, 1817