पेशवा पाया- गुप्त उपाय ६६४ भारत में अंगरेजी राज साबित करने का प्रयत्न किया । किन्तु इसका कोई असर न हो सका। अंगरेज़ अब बाजीराव को बहुत ही मरल चारा समझ रहे थे और युद्ध की पूरी तैयारी कर चुके थे। अपने पुराने स्वभाव के अनुसार एलफिन्मटन ने अब पूना के अन्दर पेशवा बाजीराव के विरुद्ध “गुप्त उपाय" में शुरू किए। इन गुप्त उपायों के सम्बन्ध में दो मगठा देशद्रोहियों के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं, जिन्होंने एलफ़िन्सटन को पेशवा गज का अन्त करने में सब से अधिक मदद दी। इनमें पहला बालाजी पन्त नातू था। बालाजी शुरू में सतारा जिले में किमी साधारण घगने में पाँच या छै रुपए माहवार का नौकर था। सन् दो देशद्रोही " १०३ में उसने पूना पाकर रेजिडेण्ट के यहाँ नौकरी कर ली। बढ़ते बढ़ते वह एलफ़िन्सटक का सब से पक्का जासूस बन गया। पेशवा के मारे कामों की वह एलफिन्सटन को खबर देता रहता था । वह एक अत्यन्त नीच प्रकृति का चालबाज़ मनुष्य था। कुछ समय बाद सतारा के पदच्युत गजा के वकील रङ्गोबापूजी ने बालाजी के नीच कृत्यों को संसार के सामने प्रकट किया, जिन्हें पढ़ कर कोई भी भारतवासी बालाजी से घृणा अनुभव किए बिना नहीं रह सकता । पेशवा के पतन के बाद एलफ़िन्सटन ने ५ सितम्बर सन् १८१८ को गवरनर जनरल के नाम बालाजी की मवाओं को खूब तारीफ की और उसे एक जागीर और पेनशन दिए जाने की सिफारिश की। गवरनर
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भारत में अंगरेज़ी राज