पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५८७

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तीसरा मराठा युद्ध

तीसरा मराठा युद्ध . जीवन में भी कोई बात ऐसी नहीं मिलतो जिससे उस इस हत्या के लिये उत्तरदाता माना जा मकं । वास्तव में गङ्गाधर उस समय एलफिन्मटन के हाथों से निकल चुका था, दक्खिन और गुजरात के अन्दर कम्पनो के काले कारनामों के अनेक रहस्य गङ्गाधर को मालूम थे। गङ्गाधर वर्षों उनका भेदी रह चुका था और इसमें कुछ भी सन्देह नहीं हो सकता कि एलफिन्सटन ने इस हत्या द्वारा अपने मार्ग से एक नए और खतरनाक कराटक को दूर कर दिया। गङ्गाधर की मृत्यु सं अंगरेजों को दुहरा लाभ हुआ । एक ओर पूना और वड़ोदा में मेल अब और अधिक कठिन शास्त्री की हत्या होगया. और दमरे पेशवा बाजीराव और उसके से अंगरेजों को मन्त्री त्रयम्बकजी को गङ्गाधर की हत्या के लिए लाभ जिम्मेदार ठहग कर एलफिन्सटन ने अब उन दोनों के विरुद्ध आन्दोलन करना शुरू कर दिया । इतिहास लेखक प्रिन्सेप लिखता है- _ "शास्त्री की हत्या से जो स्थिति पैदा हो गई उसमें हम एक ब्राह्मण राजदूत की हत्या का बदला लेने वाले बन बैठे, और पेशवा को प्रजा में भी सार्वजनिक राय पूरी तरह हमारे पक्ष में हो गई । लोगों पर यह हितकर असर इसके बाद भी जारी रहा, क्योंकि दो साल बाद जब प्रायः समस्त मराठा राज्यों से हमारा युद्ध छिड़ गया उस समय यह याद करके कि मारे झगड़े की जड़ एक ब्राह्मण की निरपराध हत्या थी, जनता को राय में अंगरेजों के पक्ष को बहुत बड़ा नैतिक बल प्राप्त हुमा । बाद में पेशवा कुल के पतन पर लोगों ने जो उदासीनता प्रकट की उसका भी बहुत दरजे