पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५८३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
९८७
तीसरा मराठा युद्ध

तीसरा मराठा युद्ध ६७ नया करवाना । किन्तु पेशवा फ़तहसिंह गायकवाड़ के हाल के व्यवहार, उसके ऊपर अंगरेज़ों के अनुचित प्रभाव, और स्वयं अपने साथ कम्पनी के व्यवहार को देखते हुए फिर से अहमदाबाद का पट्टा गायकवाड़ को देना न चाहता था । पेशवा को पर्ण अधिकार था कि अपने इलाके का पट्टा जिसके नाम चाहे जारो करे । पेशवा बाजीराव ने नया पट्टा अपने वफादार मन्त्री त्रयम्बक जी के नाम कर दिया। ____ जब अहमदाबाद का नया पट्टा गायकवाड़ के नाम जारी न हो सका तो गङ्गाधर ने बिना पिछले हिसाब का निबटाग किए बडोदा लौट जाना चाहा । एलफिन्सटन ने भी उसके तुरन्त बड़ीदा लौट जाने पर जोर दिया। कारण यह था कि अंगरेज़ चाहते थे कि पेशवा और गायकवाड़ दरबारों में वैमनस्य बराबर जारी रहे । बाद में मालूम हुआ कि वे अहमदाबाद के इलार्क का पट्टा भी कम्पनी के नाम करवाना चाहते थे। त्रयम्बक जो और पेशवा बाजीराव दोनों समझ गए कि गङ्गाधर के इस प्रकार लौटने का परिणाम अच्छा नहीं। इन दोनों ने अब गङ्गाधर शात्री को पूना में रोकने और किसी प्रकार उसे अपनी ओर करने की पूरी कोशिश की। बाँम्बे गजेटियर * में लिखा है कि अयम्बक जी इस समय वास्तव में गङ्गाधर के साथ मेल चाहता था। पेशवा ने भी इसकी पूरी कोशिश की, किन्तु गङ्गाधर कम्पनी के हाथों में था। एल- • Bombay Gazetteer, Baroda vol, D 222.