तीसरा मराठा युद्ध १५ होता था सब खुरशेदजी द्वारा ही होता था। सर बैरी क्लोज़ और पेशवा बाजोराव दोनो खुरशेदजी के कार्य से सन्तुष्ट थे। गङ्गाधर शास्त्री के पूना पहुँचते ही एलफ़िन्सटन ने गङ्गाधर के साथ मिल कर पेशवा के विरुद्ध साज़िशें शुरू की। बड़ोदा गजे- टियरस में लिखा है कि खुरशेदजो मोदी और पेशवा का एक मन्त्री अयम्बक जी पेशवा को इन साजिशों की ओर से सावधान करते रहते थे। यह भी लिखा है कि खरशेदजी पेशवा को बराबर समझाता रहता था कि बमई को सन्धि से अंगरेजों को कितना लाभ हुश्रा है और मगठा मत्ता को कितनी हानि हुई है। मई सन् १८१४ में गङ्गाधर ने एलफिन्सटन को खुरशेदजी की ओर से आगाह किया। एलफिन्मटन ने मब में पहले खुरशेदजी जमशेदजी मोदी को अलग करके पेशवा और उसके दरबार के साथ स्वयं पत्र व्यवहार करना शुरू कर दिया । खुरशेदजी को अलग करने का एक कारण एलफिन्सटन ने यह लिखा है कि-"वाजीराव ने खुरशेदजी को अपने पक्ष में कर लिया था और खुरशेदजी पेशवा का सच्चा हितचिन्तक था।" खरशेदजी का इस प्रकार अलग किया जाना पेशवा बाजीराव को भी बुरा मालूम हुआ । इसके बाद एलफ़िन्सटन के निजो पत्रों से साबित है कि बाजीराव और उसके मन्त्रियों के साथ एलफ़िन्सटन का व्यवहार दिन प्रतिदिन धृष्ट और अपमान जनक होता चला गया । खुरशेदजी अभी पूना में मौजूद था। • Bombay Gazetteer,p219
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तीसरा मराठा युद्ध