पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५७५

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तीसरा मराठा युद्ध

तीसरा मराठा युद्ध ६७६ कम्पनी के अंगरेज़ अफ़सर बाजीराव को अपना मित्र कहते थे। किन्तु जनरल वेल्सली ने, जो बाद में ब्यक रेज़िडेण्ट श्रॉफ़ वेलिङ्गटन के नाम से प्रसिद्ध हुश्रा, एलफिन्सटन - बाजीराव के दरबार की सब ख़बरें रखने के लिए पूना के अन्दर रिशवतों का बाज़ार गरम कर रक्खा था। बाजीराव के मन्त्रियों से लेकर महल के नौकरों तक को अंगरेजों को ओर से गुप्त ननखाह दी जाती थीं । सर बैरी क्लोज़ के बाद सन् १८११ में एलफिन्स्टन पूना का रेजिडेण्ट नियुक्त हुआ। मार्किस ऑफ़ हेस्टिंग्स को खास नज़र इस समय बाजीराव के उर्वर प्रान्तो की ओर थी, जिनकी वार्षिक आय करीब डेढ़ करोड़ थी। रेजिडेण्ट एलफिन्सटन इस काम के लिए हेस्टिंग्स के हाथों में उपयोगी साबित हुआ। पेशवा बाजीराव को कम्पनी के विरुद्ध अनेक शिकायतें थीं। मसलन, पेशवा काठियावाड़ के नरेशों का अधिराज था, फिर भी कम्पनी ने पेशवा को इजाज़त के बिना काठियावाड़के सामन्त नरेशों के साथ युद्ध किया और नवानगर और जूनागढ़ के मरेशों से बड़ी बड़ी रकमें बतौर दण्ड के वसूल की, जिसकी पेशवा को सूचना तक नहीं दी गई। एलफिन्सटन ने कई ऐसे काम किए जिनसे बाजीराव के दिल में एलफिन्सटन और कम्पनी की नियत पर सन्देह बढ़ता चला गया। मसलन् पेशवा का निजाम और गायकवाड़ दोनों के साथ अरसे से कुछ हिसाब का झगड़ा चला आता था। निज़ाम और