पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५५३

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हेस्टिग्स के अन्य कृत्य

हेस्टिंग्स के अन्य कृत्य चुका था। लॉर्ड हेस्टिग्स को तीसरी बार भरतपुर राज के साथ युद्ध छेड़ने में बुद्धिमत्ता दिखाई न दी। किन्तु दोआब के जाट राजाओं और वहाँ की प्रजा के दिलों से कम्पनी की ज़िल्लत को दूर करना भी ज़रूरी था। इसलिए लॉर्ड हेस्टिग्स ने हाथरस और मुरसान की छोटी छोटी रियासतों पर हमला करके उन्हें अपने अधीन कर लेना आवश्यक समझा। इतिहास लेखक प्रिन्सेप साफ़ लिखता है कि हाथरस पर हमला करने के लिए अंगरेजों के पास कोई भी हाथरस पर कम्पनी बहाना न था। हाथरस का किला हिन्दोस्तान " के स्वासे मजबत किलों में गिना जाता था।११ फ़रवरी सन् १८१७ को अचानक कम्पनी की सेना ने पहुँच कर चारों ओर से हाथरस के किले को घेर लिया। हाथरस के राजा दयाराम से कहा गया कि चूंकि हाथरस का किला उसी नमूने का है जिस नमूने का कि भरतपुर का, इसलिए गवरनर जनरल की इच्छा है कि अंगरेज़ अफ़सरों को हाथरस का किला भीतर से देखने की इजाजत दी जाय, ताकि उसके बाद वे फिर आवश्यकता पड़ने पर भरतपुर के किले को विजय करने का प्रयत्न कर सकें। राजा दयाराम भरतपुर के प्रसिद्ध राजा रणजीतसिंह का एक निकट सम्बन्धी था। उसने इस अनुचित मांग को पूरा करने से इनकार कर दिया । राजा से यह भी कहा गया कि श्राप किले का एक दरवाजा अंगरेजों के हवाले कर दे और उन्हें उस दरवाजे को ढाने की इजाजत दे दें। राजा दयाराम अंगरेजों के इरादे को समझ