नैपाल युद्ध ६३३ इस पर भी कहा जाता है कि नवाब गाज़ीउद्दीन लॉर्ड हेस्टिंग्स से इतना खुश हुआ कि अपनी "कृतज्ञता प्रकट करने के लिए" उसने अंगरेज़ गवरनर जनरल को ढाई करोड़ रुपए कर्ज दे दिए। मेजर बर्ड ने विस्तार के साथ बयान किया है कि यह ढाई करोड़ की नई रकम नवाब गाजीउद्दीन को किस प्रकार सता सता कर और किस प्रकार की यातनाएँ दे देकर वसूल की गई। इस यात्रा में ही हेस्टिंग्स ने नैपाल युद्ध के लिए अपनी विस्तृत योजना तैयार की, और लखनऊ से ही पहली नवम्बर सन् १८१४ को नेपाल के साथ युद्ध का बाज़ाब्ता एलान कर दिया। नेपाल का राज कम्पनी के राज से कहीं छोटा था। दोनों राज्यों के बीच पञ्जाब में सतलज नदी से लेकर युद्ध की विशाल बिहार में कौशी नदी तक करीब ६०० मील की तैयारी लम्बी सरहद थी। युद्ध का एलान करने से पहले गवरनर जनरल ने इस सरहद के पाँच अलग अलग स्थानों से पाँच सेनाओं द्वारा नेपाल पर हमला करने का प्रबन्ध कर लिया। इन पाँच सेनाओं का बटवारा इस प्रकार किया गया- (१) सबसे पहली सेना करनल प्रॉक्टरलोनी के अधीन लुधियाने में नियुक्त की गई । यह वही अॉक्टरलोनी था जिसका assumed "-Prerate Journal of the Marquess of Hastings, Panana Office, Allahabad, p 97 • "Out of gratitude" + Dacosteem Excelses or Spolhatton of Oudh, by the East Indra Com- pany, by Major Bird, chap 1v, pp 58-76
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नैपाल युद्ध