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भारत में अंगरेज़ी राज

६२० । भारत में अंगरेजी राज लार्ड मेलविले ने मार्किस हेस्टिग्स के कम्पनी के नाम २१ मार्च सन् १८१२ के एक पत्र के निम्न लिखित वाक्य को उद्धत किया है "इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि १७६६ का कानून कम से कम इस देश के जहाज़ के व्यापारियों के लिये सन्तोष प्रद नहीं साबित हुश्रा ।" ___ सन् १७६६ के बाद से चन्द वर्षों के अन्दर भारत के जहाज़ी धन्धे का करीब करीब नाश हो गया। सर जार्ज वाट ने इङ्गलिस्तान के भारत मन्त्री की आज्ञानुसार सन् १६०८ में "कमर्शियल प्राडक्ट्स श्राफ़ भारत के लोहे के दियो नामक एक पुस्तक प्रकाशित की थी। उद्योग धन्धे का इसमें लिखा है-"इसमें किसी तरह का सन्देह नहीं कि भारत में प्राचीन ऐतिहासिक काल से लोहे गलाने के कारखानों का ज़िक्र मिलता है। और रेल के करीब की जगहों में हमने इङ्गलिस्तान से सस्ता लोहा भेज कर इस भारतीय उद्योग का नाश कर दिया। किन्तु बम्बई और मध्य प्रान्त के अन्दर के हिस्सों में इस उद्योग ने कुछ तरक्को के आसार दिखाए हैं। सैयद अली बिलग्रामी के अनुसार मध्यकाल की दमिश्क की मशहूर तलवारें निज़ाम राज की फ़ालाद से ही बनती थीं। इस समय तक हैदराबाद अपनी तलवारों और खञ्जरों के लिये मशहूर है।" वेलेण्टाइन बाल ने अपनी पुस्तक "जंगल लाइफ इन इण्डिया" • Ibrd, p 457 नाश