पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४९५

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भारतीय उद्योग धन्धों का सर्वनाश

भारतीय उद्योग धन्धों का सर्वनाशEE लारपैण्ट नामक एक अंगरेज गवाह ने इस प्रश्न के उत्तर में कहा- अंगरेजी माल पर ईगलिस्तान का बना हुआ जो माल हिन महसूल माफ़ के अन्दर प्राता है, उस पर महसूल घटा कर कुल कीमत पर २६ फीसदी महसूल कर दिया गया है, और बहुत से खास ब्रास तरह के माल पर बिलकुल ही महसूल उड़ा दिया गया है। __ "चुङ्गी की दर बदल दी गई है और कई चीज़ों पर चुङ्गी उड़ा दी "जो अंगरेज़ कहवा ( कानी ) या नील का काम करना चाहते हैं, उन्हें ६० साल के पट्टे पर जमीनें मिलने की इजाजत दे दी गई है, इत्यादि ।" एक दूसरे अंगरेज़ गवाह सलीवन ने बयान किया- "सन् १८१४ में व्यापार का द्वार खुल जाने के समय से रुई के ऊपर महसूल बिलकुल हटा लिया गया है, जो रुई हिन्दोस्तान से चीन भेजी जाती है उस पर महसूल घटा कर पाँच फीसदी कर दिया गया है, और जो रुई हिन्दोस्तान से इगलिस्तान भेजी जाती है उस पर महसूख बिलकुल नहीं लिया जाता।" क्रॉफर्ड नामक गवाह ने बयान किया- "महसूल के मामले में सन् १८१३ के कानून में यह बात दर्ज कर दी गई थी कि बिना इंगलिस्तान के अधिकारियों से पछे हिन्दोस्तान में बाहर के माल पर कोई नया महसूल न लगाया जाय । इसी के अनुसार पुराने महसूलों को कम करके और उनकी एक सूची तैयार करके इंगलिस्तान से हिन्दोस्तान