E भारत में अंगरंजी राज (५) भारतीय कारीगरों पर हर तरह का दबाव डाल कर उनकी कारीगरी के रहस्यों का पता लगाया जाय, जैसे थानों को धोना, रंगना इत्यादि, और इंगलिस्तान के व्यापारियों और कारोगरों को उन रहस्यों की सूचना दी जाय। और प्रदर्शनियों के जरिए भारतवासियों की आवश्यकताओं और उनकी कारीगरी के भेदों का पता लगाया जाय। (६) माल के लाने ले जाने के लिए भारत में रेले जारी की जायें। (७) अपनी मण्डियों को पक्का करने के लिए ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य को विस्तार दिया जाय और भारतवर्ष को इंगलिस्तान का गुलाम बना कर रखा जाय । सन् १८३०-३२ में पालिमेण्ट की ओर से एक कमेटी नियुक्त की गई, जिसका उद्देश यह तहकीकात करना की था कि पूर्वोक्त उपाय कहाँ तक सफल हुए और कमेटी सन् १८१४ से उम समय तक भारत के अन्दर इंगलिस्तान का व्यापार कहाँ तक बढ़ा । कमेटी के सामने अनेक गवाहों के बयान हुए। पहला प्रश्न जो प्रत्येक गवाह से किया गया वह यह था कि सन् १८१४ से अब तक भारत के अन्दर महसूल को तबदीलियों से अंगरेज़ व्यापारियों को व्यापार के लिए क्या क्या सुविधाएँ दी जा चुकी है ? इस प्रश्न के कुछ उत्तरों से प्रस्तुत विषय पर ख़ासी रोशनी पड़तो है।
पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४९४
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
८९८
भारत में अंगरेज़ी राज