भारतीय उद्योग धन्धों का सर्वनाश अन्दाज़ा लगाया गया है कि प्लासी से वाटरलू तक अर्थात् सन् १७५७ से १८१५ तक करीब एक हज़ार मिलियन पाउण्ड अर्थात् १५ अरब रुपया शुद्ध लूट का भारत से इङ्गलिस्तान पहुँचा। यानो ५८ वर्ष तक २५ करोड़ रुपया सालाना कम्पनी के मुलाज़िम भारतवासियों से लूट कर अपने देश ले जाते रहे। निस्सन्देह संसार के इतिहास में इस भयङ्कर लूट की दूसरी मिसाल नहीं मिल सकती । स्वयं भारत के अन्दर इस लूट के मुकाबले में महमूद गजनवी और मोहम्मद गोरी के प्रसिद्ध हमले केवल गुड़ियों के खेल थे। हमें यह भी स्मरण रखना चाहिए कि उस समय के एक रुपए और अाजकल के एक रुपए में कम से कम दस और एक का अन्तर है । इस भयङ्कर लूट ने ही ब्रुक्स ऐडम्स के अनुसार इङ्गलिस्तान की नई ईजादों को फलने और वहाँ के कारखानों को जन्म लेने का अवसर दिया। १६ वीं शताब्दी के प्रारम्भ में यूरोप की अवस्था बदली। . फ्रान्स के जगत्प्रसिद्ध विजेता नेपोलियन बोना- ' पार्ट का प्रभाव लगभग समस्त यूरोपियन महा. का इङ्गलिस्तान द्वीप पर फैल गया । महाद्वीप की प्रायः समस्त पर असर राजशक्तियाँ नेपोलियन के इशारे पर चलने लगी। केवल इङ्गलिस्तान, जिसे अपने भारतीय साम्राज्य के निकल जाने का डर था, नेपोलियन के विरुद्ध डटा रहा। नेपोलियन • Prosperous British India, by William Digby, C l Ep 33
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भारतीय उद्योग धन्धों का सर्वनाश