भारतीय उद्योग धन्धों का सर्वनाश किया। वेल्सली, हेस्टिंग्स और डलहौजी । इन तीनों में माविस ऑफ़ हेस्टिंग्स का समय एक प्रकार से सब से अधिक महत्वपूर्ण था। इस समय से ही भारत के प्राचीन उद्योग धन्धों को मष्ट करना और इङ्गलिस्तान के उद्योग धन्धों को उन्नति देना अंगरेजों की भारतीय नीति का एक विशेष अङ्ग बन गया। अंगरेज़ों के भारत श्राने से हजारों वर्ष पूर्व भारत के बने हुए कपड़े और भारत का अन्य माल भारत के बने भारत का प्राचीन | हुए हज़ारों जहाज़ों में लद कर चीन, जापान, व्यापार लङ्का, ईरान, अरब, कम्बोदिया, मिश्र, अफरीका, इतालिया, मैक्सिको आदिक संसार के समस्त सभ्य देशों में जाकर बिकता था। अंगरेज़ों के आगमन के सैकड़ों वर्ष बाद तक भी उद्योग धन्धों की दृष्टि से भारत संसार का सब से अधिक उन्नत देश था। १६वीं शताब्दी के प्रारम्भ तक, जब कि हिन्दोस्तान का बना हुश्रा तरह तरह का माल और विशेषकर हिन्दोस्तान के बने हुए सुन्दर कपड़े इङ्गलिस्तान में जाकर बिकते थे और खूब पसन्द किए जाते थे, इङ्गलिस्तान के बने हुए कपड़े भारत में लाकर बेचने का. अंगरेज़ शायद स्वप्न में भी विचार न कर सकते थे। सुप्रसिद्ध अंगरेज़ इतिहासज्ञ लैकी लिखता है कि सन् १६८८ की अंगरेजी राज्यक्रान्ति के पश्चात् जब मलका मेरी अपने पति के साथ इङ्गलिस्तान आई तो “भारतवर्ष के रङ्गीन कपड़ों का शौक उसके साथ आया, और तेजी के साथ हर श्रेणी के अंगरेजों में फैलता
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भारतीय उद्योग धन्धों का सर्वनाश