पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४७०

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भारत में अंगरेज़ी राज

-७४ भारत में अंगरेजी राज किन्तु कम्पनी के गोरे सिपाही और उनके अफसर लॉर्ड मिण्टो के शासन-काल से इतने सन्तुष्ट न रह सके। ___बात यह थी कि कम्पनी को आर्थिक कठिनाई की बगावत के कारण लॉर्ड मिण्टो को प्रायः हर महकमे का खर्च कम करना पड़ा। उस समय के गोरे अफसरों को अपनी तनखाहों के अलावा कई तरह के भत्ते दिए जाते थे। हिन्दोस्तानी पलटनों के गोरे अफसरों को एक प्रकार का मासिक भत्ता मिलता था जिसे टेण्ट कण्ट्रेक्ट' यानो डेरे के सामान का ठेका कहते थे। मई सन् १८० से मद्राम प्रान्त में यह भत्ता बन्द कर दिया गया। गोरे अफसर इस पर तुरन्त बिगड़ खड़े हुए। मछलीपट्टन, श्रीरङ्गपट्टन, हैदराबाद और अन्य कई स्थानों पर अंगरेज़ अफसरों ने बगावत का झण्डा खड़ा कर दिया। मामला बढ़ गया । यहाँ तक कि जब एक बागी गोरी पलटन श्रीरङ्गपट्टन के बागियों से मिलने के लिए चित्तलद्रुग से श्रीरङ्गपट्टन जा रही थी, मार्ग में एक दूसरी किन्तु राजभक्त गोरी पलटन के साथ उनकी मुठभेड़ हो गई और दोनों ने एक दूसरे के ऊपर गोलियां चलाई। भारतवासियों पर इस घटना का बहुत ही श्रहित- कर प्रभाव पड़ने का डर था। फौरन गोरे सिपाहियों को समझाने और उनकी शिकायतें दूर करने के लिए लॉर्ड मिण्टो स्वयं मद्रास पहुँचा । अन्य अनेक बड़े से बड़े अंगरेज़ अफसरों को इसी कार्य के लिए प्रान्त की विविध