पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४५९

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८६३
प्रथम लॉर्ड मिण्टो

प्रथम लॉर्ड मिण्टो ८६३ शासन में श्रा जायें। इन सन्धियों की एक शर्त यह बताई जाती थी कि यदि किसी राजा या सरदार के पुत्र न हो तो उसे गोद लेने का अधिकार न होगा, और यदि कोई दूसरा न्याय्य उत्तराधिकारी न हो तो उसकी रियासत कम्पनी की रियासत समझी जायगी। इसी विचित्र नियम के अधीन अम्बाला, कैथल इत्यादि कई सिख रियासते समय समय पर अंगरेजी राज में मिला ली गई। कुछ समय बाद लॉर्ड डलहौजी ने भी इसी नियम के अनुसार अनेक अन्य देशी रियासतों को चुपके से अंगरेजी राज में शामिल कर लिया। ___ सतलज के इस पार के इन राजाओं को स्वयं रणजीतसिंह के विरुद्ध भी भड़काया गया । अन्त में जब रणजीतसिह ने देखा कि अपने देशवासियों के विरुद्ध अंगरेज़ों का साथ देने से मुझे कोई लाभ न हुआ तो विवश होकर उसने सतलज के दक्खिन के समस्त विद्रोही गजानों को दमन करके जमना तक के इलाके को अपने अधीन करने का सङ्कल्प किया। दोआब के गजा रणजीतसिंह के व्यवहार से सन्तुष्ट न थे। रणजीतसिंह ने फ़ौज लेकर उन पर चढ़ाई की। रणजीत सिंह के ख़बर उड़ी कि कम्पनी की सेना जमना नदी पर दरबार में अंगरेज़ जमा हो रही है और रणजीतसिंह के विरुद्ध इन राजाओं को सहायता देने वाली है। इस ख़बर की सच्चाई का पता लगाने के लिए महाराजा रणजीतसिंह ने लॉर्ड मिण्टो को एक पत्र लिखा, जिसमें उसने अंगरेज कम्पनी दूत