पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४५६

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भारत में अंगरेज़ी राज

.८६० भारत में अंगरेज़ो राज के साफ़ विरुद्ध जाती थी। इसलिए कप्तान सीटन के स्वीकार कर लेने पर भी लॉर्ड मिण्टो ने इस सन्धि के साथ को स्वीकार न किया। मिण्टो ने एक दूसरे दूसरी सन्धि अंगरेज़ स्मिथ को बम्बई से सिन्ध भेजा। स्मिथ = अगस्त सन् १८०६ को हैदराबाद पहुँचा। अमीर को समझा बुझा कर कप्तान सीटन वाली सन्धि रद्द कर दी गई और २३ अगस्त सन् १८०६ को कम्पनी और सिन्ध के अमीरों के बीच 'एक नई सन्धि हो गई, जिसमें दोनों सरकारों के बीच “सदा के लिए" मित्रता और एक दूसरे के साथ तिजारत का सम्बन्ध कायम किया गया। यह तय हुआ कि सिन्ध के वकील अंगरेजों के यहाँ और अगरेज़ों के वकोल सिन्ध में रहा करें और फ्रान्सीसियों को सिन्ध में रहने की इजाज़त न दी जाय। दिखलाया यह गया कि इस सन्धि का उद्देश केवल फ्रान्सीसियों के विरुद्ध सिन्ध के साथ मित्रता करना है, किन्तु वास्तविक उद्देश था अफगानिस्तान से सिन्ध को फाड़ना और सिन्ध की सब ख़बरें रखने और सिन्ध में आइन्दा अपनी साजिशों का जाल पूरने के लिए वहाँ एक स्थायी एजन्सी कायम करना । सतलज नदी के उस पार महाराजा रणजीतसिंह का राज था। रणजीतसिंह नाम को काबुल के बादशाह का रणजीतसिंह को ___सामन्त था । नदी के इस पार अनेक छोटी - अदूरदर्शिता छोटी सिख रियासतें थीं, जिनमें से अधिकांश दूसरे मराठा युद्ध तक महाराजा सींधिया की सामन्त थीं। रणजीत