प्रथम लॉर्ड मिण्टो ८५७ लॉर्ड मिण्टो ने भारतीय ब्रिटिश सरकार की इज्ज़त को फिर से कायम करने के लिए दोबारा मैलकम को ईरान भेजा । मैलकम ने अपने रोज़नामचे में लिखा है कि किसी प्रकार "धोखेबाज़ी से, झूठ बोल कर और साज़िशों द्वारा " उसे इस बार ब्रिटिश भारतीय सरकार और ईगन सरकार के बीच फिर से मित्रता का सम्बन्ध कायम करने में सफलता प्राप्त हुई। उधर जिस समय कि एच० जोन्स ने ईरान के साथ यह सन्धि __की कि ईरान पोर अफ़ग़ानिस्तान की लड़ाई में अफगानिस्तान मे अंगरेज किसी तरह का दखल न देगे, ठीक उसी एलफिन्सटन का समय एक दूसरे अंगरेज़ एलफिन्सटन को इस लिए अफ़ग़ानिस्तान भेजा गया कि वह अफ़ग़ा. निस्तान के बादशाह के साथ इस विषय की सन्धि कर ले कि यदि ईरान अफ़ग़ानिस्तान पर हमला करेगा तो अंगरेज़ अफ़ग़ानिस्तान की मदद करेंगे । निस्सन्देह एक ओर मुसलिम ईरान को अफ़ग़ानिस्तान के विरुद्ध भड़काना और दूसरी ओर मुसलिम अफ़ग़ानिस्तान को ईरान के हमले के विरुद्ध मदद देने का वादा करना, पाश्चात्य कूटनीति का एक खासा सुन्दर नमूना है । वास्तव में रूस और फ्रान्स के हमले से अपने नए भारतीय साम्राज्य को सुरक्षित रखने के लिए अंगरेज़ों को ईरान और अफ़ग़ानिस्तान दोनों को अपनी ओर रखना और साथ ही दोनों को एक दूसरे से लड़ाए रखना आवश्यक प्रतीत होता था। उद्देश • "Deceit, falsehood and intrigue"-Malcolm'sJournal p 186
पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४५३
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
८५७
प्रथम लॉर्ड मिण्टो