प्रथम लॉर्ड मिण्टो ८३७ सवार के अधीन १५ हज़ार सवारों ने पूरी जॉनिसारी के साथ मराठों के पक्ष में युद्ध किया था। ___एक अंगरेज़ लेखक लिखता है कि पिण्डारियों की सेनाओं में हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोग खुले भरती किए जाते थे सम्भवतः उनके सरदारों में भी हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोग होते थे, क्योंकि पूर्वोक्त लेखक के अनुसार विविध पिण्डारी दलों के, जिन्हें 'दुर्रे' या 'लब्बर' कहते थे, सरदारों का पद पैतृक न होता था। वरन् प्रत्येक सरदार के मरने पर उसके समस्त अनुयायी मिलकर अपने में से सब से अधिक वीर और सब से अधिक योग्य व्यक्ति को अपना सरदार चुन लेते थे। इस सम्बन्ध में पूर्वोक्त अंगरेज़ लिखता है :- "मालूम होता है कि मराठों और मुसलमानों के बीच कभी भी अधिक धार्मिक वैमनस्य मौजूद न था। दोनों एक ही भाषा मराठों और का उपयोग करते हैं। दोनों में बहुत से रिवाज एक मुसलमानों का समान पाए जाते हैं । मराठों ने मुसलमानों की अनेक उपाधियाँ अपने यहाँ ले रक्खी हैं। सौंधिया और अन्य मराठा नरेशों के सेनापति प्रायः मुसलमान हैं; और मुसलमान नरेशों के दरवारों की बाग प्रायः ब्राह्मण मन्त्रियों के हाथों में होती है।"* सम्बन्ध • No great religious enmaty would ever appear to have existed bet- ween the Marathas and Mohammedans The same language 1s common to them both, many of their customs are the same and the former have adopted many of the titles of the latter The Generals of Scindhia and the other Maratha chiefs, are often Mohammedans , and Brahmans frequently govern
पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४३३
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
८३७
प्रथम लॉर्ड मिण्टो