-३४ भारत में अंगरेजी राज की साजिशें हमारी कौम की प्रतिष्ठा को बढ़ाने वाली न थीं। इन साज़िशों के सम्बन्ध में दरबार के पास पास के सब लोग उस रियासत के अन्दर के सब दल, कोई अंगरेजों के पक्ष में और कोई उनके विरुद्ध, और एक दूसरे के पक्ष में और विपक्ष में सब के सब साजिशों में लगे हुए थे। जिस प्रदेश के अपर उस होलकर का राज था, जिसकी कीर्ति एक समय दूर दूर तक फैली हुई थी, उस प्रदेश को अब दरोग़हलफ़ी, विश्वासघात, बलात अपहरण, कतल, हत्या, लूट, बगावत और आपसी लड़ाइयों ने कलंकित और टुकड़े टुकड़े कर रखा था ।"* इतिहास लेखक प्रॉण्ट डफ़ उस समय की इन दलबन्दियों के उद्देश के विषय में साफ़ लिखता है- ___ “यह भाशा को जाती थी कि यदि मराठा सरदार आपस में लड़ते रहेंगे, अपने पड़ोसियों को लूटते रहेंगे, और उन्हें स्वयं अपने इलाकों के छिन जाने का डर बना रहेगा, तो वे अंगरेज सरकार के विरुद्ध लदाई छेड़ने से रुके रहेंगे।" • "Among the chhets who received favour from the English was one Amir Khan This person had, in spite of previous treaties, a cons1- derable portion of Holkar's territory made over to hin by Lord Minto, and a formal treaty sealed the bond of amity between this desperate robber and murderer and the East India Company The intrigues between the English and Amir Khan against the integrity of Holkars dominion were not honourable to our nation In connection with them, all persons about the court, all parties in that state, intrigued for and against the English, and for and against one another Perjury, peridy, abduction, assassination, murder plunder, revolt and civil war rent and stained realms which had owned the sovereignty of the once far-renowned Holkar, "-Nolan's History of the British Empure, pp 510,511,521 + " It was expected that their (the Maratha Chiefs') domestic wars, the
पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४३०
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
८३४
भारत में अंगरेज़ी राज