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भारत में अंगरेज़ी राज
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भारत में अंगरेजी राज ऊपर के उद्धरण में लॉर्ड मिण्टो का यह इशारा करना कि कम्पनी के इलाके के लोग उस समय पाल के 'अंगरेज़ी और देशी देशी इलाकों से अधिक समृद्ध थे, सर्वथा झूठ इलाकों में तुलना " है। असंख्य उद्धरण इस बात के सुबूत में दिए जा सकते हैं कि पास के देशी इलाकों की प्रजा कम्पनी के इलाके की प्रजा से कई गुना अधिक समृद्ध थी। मिसाल के तौर पर उस समय के कम्पनी के इलाके और मराठा इलाके की तुलना करते हुए 'एक अंगरेज़ लेखक लिखता है :- "बरार के जागीरदारों की ज़मीने कम्पनी सरकार के इलाकों की अपेक्षा अधिक समृद्ध अवस्था मे हैं, इसका सबब यह है कि वे ज़मीनें अधिक सुरक्षित है और वहाँ को रय्यत पर कम अत्याचार किए जाते हैं।"* फिर भी अंगरेज़ी इलाके की तुलना में देशी इलाकों के अन्दर डकैतियों का निशान तक न था। यह कह सकना कि किन किन उपायों से उस समय इन निरङ्कश डाकुओं के हौसले बढ़ाए गए, बहुत कठिन है। किन्तु इसमें सन्देह नहीं कि इन डाकुओं को दण्ड देना या उनसे प्रजा की रक्षा करना उस समय भारत के अंगरेज़ शासको की नीति के विरुद्ध था। भारतीय प्रजा के इस तरह की श्रोपत्तियों में पड़े रहने में ही उन्हें • " rhe lands of the Jagirdars, in Berar, are in a more prosperous condition than those of the Circar, because they are better protected, and the ryots less oppressed "-Origin of the Pandaries ete., by an Officer in the service of the Honourable East India Company, 1818,p 149