पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४२२

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भारत में अंगरेज़ी राज

८२६ भारत में अंगरेज़ो राज उस समय का एक प्रसिद्ध अंगरेज़ जज सर हेनरी स्ट्रैची लिखता है- "मुझे विश्वास है कि अंगरेज़ों की अदालतें खुलन के समय से डकैती के जुर्म बहुत बढ़ गए हैं।" सन् १८०८ में राजशाही के डिवीज़नल जज ने लिखा- "अनेक बार कहा जा चुका है कि राजशाही में डकैतियों बहुत होती हैं। xxx फिर भी प्रजा की हालत की ओर, काफ़ी ध्यान नही दिया जाता । इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि वास्तव मे जान या माल की कोई रक्षा नहीं की जाती।" सन् १८०६ में गवरमेण्ट के सेक्रेटरी डाउड्सवेल ने लिखा- "भारतीय प्रजा की जान और माल की कोई हिफाज़त नहीं की जाती।" ____यह भी नहीं कि अंगरेज़ सरकार के पास प्रजा की रक्षा के लिए उस समय काफ़ी सामान न रहा हो। जेम्स मिल लिखता है-

  • “ The Time of dacoity has, I believe, increased greatly, Since the

British administration of Justice"-Sir Henry Strachey + “ That dacotty is very prevalent in Rajashaye has been often stated __Yet the situation of the people is not sufficiently attended to It can not be denied, that in point of fact, there is no protection for persons or property" " To the people of India there is no protection, either of person or of property"