पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४०६

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
८१०
भारत में अंगरेज़ी राज

८१० भारत में अंगरेजी राज दी गई। सबसीडीयरी सन्धि का जुआ सोंधिया को गर्दन से हटा लिया गया, और गोहद का प्रान्त और ग्वालियर का किला सींधिया को वापस दे दिए गए । जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा इत्यादि राजपूताने को रियासतो को अंगरेजों ने महाराजा सींधिया की सामन्त रियासत स्वीकार कर लिया और वादा किया कि अंगरेज़ इन रियासतों के साथ अथवा सींधिया के अन्य सामन्तों के साथ कभी किसी तरह की पृथक सन्धि न करेंगे। तापती और चम्बल के बीच में होलकर का जो इलाका सींधिया ने जीत लिया था वह सींधिया का इलाका मान लिया गया। दोश्राब में सोंधिया के जिन ज़िलों पर अंगरेजों ने कब्जा कर रक्खा था उनमें से कुछ सींधिया को वापस दे दिए गए और शेष के बदले में अंगरेजो ने चार लाख रुपए नकद सालाना महाराजा सींधिया को देते रहने का वादा किया। चम्बल नदी महागजा सींधिया के राज की सीमा स्वीकार कर ली गई। सींधिया ने रेज़िडेण्ट जेनकिन्स को कैद से छोड़ दिया। निस्सन्देह सन् १८०३ की मन्धि से यह सन्धि महाराजा दौलतराव सींधिया के लिए कहीं अधिक सम्माननीय थी। जसवन्तराव होलकर के साथ भी अंगरेज़ों ने उसका सारा ___ इलाका वापस देकर सुलह कर लेना चाहा। होलकर का सन्धि जसवन्तराव का अब कोई सहायक न था। करने से इनकार अरसे से वह अपने देश से निर्वासित था। अपनी सेना को देने के लिए भी उसके पास धन की कमी थी।