०२ भारत में अंगरेज़ी राज महकमों का पूरा खर्च अदा करने के बाद, कानून की यह प्राज्ञा है कि कम से कम दस लाख पौण्ड (करीब डेढ़ करोड़ रुपए ) प्रतिवर्ष म्यापार में लगाए जायें, और इंगलिस्तान की गष्ट्रीय सम्पत्ति को बढ़ाने के लिए हर साल भारत से इंगलिस्तान भेज दिए जाया करे । सन् १७१८ से अब तक कोई रकम ब्यापार में नहीं लगाई गई, और इस एक मामले में कानून के विरुद्ध इंगलिस्तान को ८० लाख पौण्ड से अधिक की हानि पहुंचाई जा चुकी है। इस हद तक हमारी व्यापारी जाति को हमारे उपनिवेशों से इतनी बड़ी रकम से वञ्चित रक्खा गया है, जो कानून से निर्धारित और नियत थी" इंगलिस्तान के शासकों की यह श्राज्ञा थी कि कम्पनी के भारतीय - इलाकों की आमदनी में से बचाकर यहाँ की वल्सला की वापसी अंगरेज सरकार हर साल कम से कम दस लाख पौण्ड का माल मुफ्त कम्पनी के हिस्सेदारों की जेबें भरने के लिए इंगलिस्तान भेज दिया करे। जेम्स मिल जैस उदार अंगरेज़ ने लिखा है कि-"इंगलिस्तान को हिन्दोस्तान से तभी लाभ है जब कि हिन्दोस्तान की आमदनी में से बचाकर धन इंगलिस्तान भेजा • " By the Act of 1793, after the payment of the militarv and civil establishment, the Act enjons that a sum not less than one million ot pounds sterling shall be applied for commercial purposes, and remitted to Great Britain, to form a part of its national wealth Since 1798, no sum whatever has been applied to commercial purposes, and the law has been violated in this single instance to a sum exceeding 8 millions To this extent, and to this amount has this commercial nation been deprived of such an import from our colonies, which the law ordered and enjoined "
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भारत में अंगरेज़ी राज