यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
सत्ताईसवाँ अध्याय दूसरे मराठा युद्ध का अन्त भरतपुर का मोहासरा हटा लिया गया। राजा रणजीतसिह के साथ अगरेजों की सन्धि हो गई। किन्तु सींधिया और महाराजा जसवन्तराव होलकर अभी तक परास्त होलकर की भेंट न हुअा था और न दौलतराव सींधिया की शिकायतों का हो निबटारा हुआ था। जसवन्तराव होलकर भरतपुर से चल कर सब्बलगढ़ में सींधिया से श्रा मिला। इन दो बलवान नरेशों के मिल जाने से अंगरेज और भी अधिक घबरा गए। कम्पनी की आर्थिक अवस्था इस समय गिरी हुई थी। माश्विस वेल्सली ने जनरल लेक को श्राक्षा दी कि श्राप सींधिया का पीछा कीजिये। सीधिया और