पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३९०

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
७९४
भारत में अंगरेज़ी राज

७६४ भारत में अंगरेजी राज हाल में अंगरेज़ों ने कब्जा कर लिया था, ज्यों का त्यों राजा भरतपुर को लौटा दिया गया, यानी गजा रणजीतसिंह को इस युद्ध से किसी तरह की हानि नहीं उठानी पड़ी। जसवन्तराव होलकर कहीं और जाकर फिर एक बार अंगरेजों के साथ अपनी किस्मत आज़माने के लिए स्वतन्त्र छोड़ दिया गया। भरतपुर की सेना की वीरता और वहाँ के किले की अभेद्यता उस समय समस्त भारत में प्रसिद्ध हो गई। भरतपुर का महत्व इतिहास लेखक थॉर्नटन लिखता है कि "जिस समय सन् १८०५ में अंगरेज़ भरनपुर के किले का मोहासरा कर रहे थे उस समय कम्पनी के कुछ हिन्दोस्तानी सिपाहियों ने कहा था कि “हम लोगों को नगर के ऊपर पीताम्बर पहने, शङ्ख, चक्र, वंशी, पद्म धारण किए श्रीकृष्ण दिखाई दे रहे है।"* निस्सन्देह भरतपुर की दीवारों ने अंगरेजो के गर्व को चूर कर दिया और भारतवासियों के दिलों से कुछ समय के लिए उनके जादू के असर को दूर कर दिया। • " In 1805, during the thrst siege some of the native soldiers in the British service declared that they distinctly saw the town defended by that divinity, dressed in yellow garments, and armed with his peculiar weapons the bow, mace, conch and pipe '-Thornton in his Gazetteer of India 10