पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३८८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
७९२
भारत में अंगरेज़ी राज

७६२ भारत में अंगरेज़ी राज अक्तूबर सन् १८०४ के शुरू में गवरनर जनरल ने अपने भाई जनरल वेल्सली को फिर कलकत्ते से दक्खिन जनरल वेल्सली ____ वापस भेजा और यह हिदायत की कि तुम को हिदायत उचित अवसर देख कर नागपुर पर आक्रमण कर देना । नागपुर में वेल्सली की काररवाइयों का ज़िक्र किसी अगले अध्याय में किया जायगा, यहाँ पर केवल यह दिखाना श्रावश्यक था कि किस प्रकार अंगरेज़ों ने सींधिया और भोसले दोनों को जसवन्तराव होलकर और राजा रणजीतसिंह की सहायता के लिए पहुँचने से रोके रक्खा । उधर मार्किस वेल्सली युद्ध समाप्त करने के लिए अधीर हो __रहा था। मार्च सन् १८०५ को उसने जनरल भरतपुर के साथ लेक को लिखा- सन्धि x x x मैं हद से ज्यादा इच्छुक हूँ कि जिन शों पर भी हो सके, युद्ध को शीघ्र समाप्त किया जाय । x x x मेरी प्राप से प्रार्थना है कि जब तक मोहासरे को जारी रखने के लिए प्रापके पास पूरा पूरा और काफी सामान न हो, आप फिर से मोहासरा शुरू करने की कोशिश न करें ; जब तक सफलता में जरा सा भी सन्देह है तब तक आप हमला tions until he should have learned the result of the Commander-in-Chief's first operations against Holkar, unless circumstances should render an immediate statement of them useful and necessary "The Resident was at the sametime instructed to assure the Raja of the most amicable disposition of the British Government towards him while he should continue to abide by his engagements under the late peace, etc etc" Anccnule desposation of pin Bintiga cneernment to waedademeroine