७८६ भारत में अंगरेज़ी राज . जनरल लेक के अन्य पत्रों से साबित है कि जीन बेप्टिस्टे से अंगरेजों का सौदा हो गया और उसने 'ख़ास काम' करके भी दिखा दिया। • भरतपुर के मोहासरे के समय दौलतराव सीधिया अपनी सेना सहित बरहानपुर में मौजूद था। भरतपुर के मोहासरे की खबर पाते ही उसने सबसे पहले अपने पिण्डारी सवार भरतपुर की ओर रवाना कर दिए और फिर शेष संना महित म्वयं भरतपुर पहुंचने के लिए उत्तर की ओर बढ़ा। जसवन्तराव होलकर और गजा रणजीतसिंह दोनों को दौलतराव सोंधिया की सहायता पर पूरा भरोसा था। इसमें भी सन्देह नहीं कि यदि दौलतराव की सहायता वक्त पर पहुँच जाती, तो कम से कम मराठा मण्डल को दूसरे मराठा युद्ध के पूर्व की अपनी प्रतिभा फिर से प्राप्त हो जाती। किन्तु दुर्भाग्यवश एक तो सींधिया के वे अधिकांश पिण्डारी सवार, जो भरतपुर की ओर रवाना किए गए, पहले अमीर खाँ की सेना में रह चुके थे और अमीर खाँ के प्रभाव में थे; दूसरे सींधिया की सेना की बाग इस समय नमकहराम जीन बेप्टिस्टे फ़िलॉसे के हाथों में थो; तीसरे सींधिया के मुख्य सलाहकारों में इस समय एक मुन्शी कमलनयन था। सन् १८०३ में अंगरेजों और lac and a half of rupees to pay his troops He is reported to be a good and faur man, and by what I have seen of him lately from his correspondence, has every appearance of being so , but I must be more convinced that he is so befor I give him money, at any rate not to that extent, if he does anything worth notice it will be time enough to pay him then"-General Lake's Private ' letter to Marquess Wellesley, dated Agra 22nd September, 1804
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भारत में अंगरेज़ी राज