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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेज़ी राज बाद होलकर स्वयं अपने सवारों सहित उनसे श्रा मिला। कहा जाता है इस संग्राम में होलकर की ८७ तोपें अंगरेज़ों के हाथ लगी। इस विजय पर गवरनर जनरल और जनरल लेक दोनों ने खूब . जलसे किए और समस्त भारत में उसका एलान पर जल किया। १६ नवम्बर को स्वयं अपनी प्रशंसा करते हुए जनरल लेक ने गवरनर जनरल को लिखा- "मेरे कूच की तेजी देख कर सारे हिन्दोस्तानी इतने चकित रह गए कि जिसकी कल्पना भी नहीं हो सकती x x x"18 कहा जाता है कि ३१ अक्तूबर से १७ नवम्बर तक जनरल लेक के कूच की रफ्तार २३ मील रोज़ाना थी। रेल और तार उस समय तक संसार में कहीं न थे। होलकर के श्रादमियों और विशेष कर पठानों के साथ लेक के “गुप्त प्रयत्न" बराबर जारी थे। जसवन्तराव होलकर अपनी समस्त सेना सहित भरतपुर पहुँचना चाहता था। किन्तु मार्ग में उसे और उसकी सेना को डीग के किले में श्राश्रय लेना पड़ा। डीग का किला भी भरतपुर के राज में था। ___ भरतपुर के राजा के साथ अंगरेजों का पत्र-व्यवहार हो रहा था। मालूम नहीं, भरतपुर के राजा का विचार इससे पहले अंगरेजों से लड़ने का था या नहीं। किन्तु इसी समय एक ऐसी घटना हुई


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." The rapidity of my march has astonished all the natives beyond imagination, . "-General Lake to Governor General,,19th November, 1804