पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३५२

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भारत में अंगरेज़ी राज

७६० भारत में अंगरेज़ी राज अंगरेज़ों ने एक बहुत बड़ी सेना मथुरा की रक्षा के लिए नियुक्त कर रखी थी। किन्तु इस सेना को हार खाकर मथुरा से भाग जाना पड़ा, और विजयी जसवन्तराव होलकर ने मथुरा पर कब्ज़ा कर लिया । वेल्सली के सब प्रयत्न निष्फल गए । मथुरा से आगे बढ़ कर तुरन्त दिल्ली पर कब्ज़ा कर लेना उस समय जसवन्तराव के लिए कुछ भी कठिन न था। यह भी सम्भव है कि एक बार दिल्ली पर कब्ज़ा करके जसवन्तराव के पक्ष को आश्चर्यजनक बल प्राप्त हो जाता। किन्तु शायद जसवन्तराव की आकांक्षा उस समय इससे अधिक न थी। इसके अतिरिक्त मथुरा पहुँच कर उसे कई नई कठिनाइयों ने श्रा घेरा। जसवन्तराव जब उत्तर की ओर बढ़ रहा था, उसी समय करनल मरे जसवन्तराव के मालवा के इलाके पर करनन मरे का और करनल वैलेस उसके दक्खिन के इलाकों पर मालवा विजय

  • हमला कर रहे थे । ऊपर आ चुका है कि करनल

मरे ने रसद की कमी के कारण पहली जुलाई को गुजरात की ओर लौटना शुरू कर दिया था। किन्तु फिर होलकर के उत्तर की ओर बढ़ जाने की खबर पाते ही मरे ने तीसरी बार लौट कर होलकर के श्रादमियों के साथ साज़िशें करना शुरू किया। ___ डाइरेक्टरों के नाम गवरनर जनरल के २४ मार्च सन् १८०५ के पत्र में लिखा है कि करनल मरे ने गवरनर जनरल से बाज़ाब्ता दरियाफ्त किया कि किस हद तक होलकर के नौकरों और दुसरे अनुयाइयों को लोभ दिया जाय, और कहाँ तक उनसे वादे कर