जसवन्तराव होलकर ७५8 होलकर को घेरने के लिए नियुक्त की गई। सब से ऊपर एक विशाल सेना जनरल लेक के अधीन, दूसरी सेना दिल्ली और आगरे के बीच की पहाड़ियों के निकट, तीसरी सेना बुन्देलखण्ड में, चौथी सींधिया की सबसीडीयरी सेना उज्जैन में, और पाँचवीं सेना करनल मरे के अधीन गुजरात की सरहद पर। ___ इस समस्त सैन्य प्रबन्ध का स्पष्ट उद्देश यह था कि इनसे निकल कर होलकर उत्तर की ओर अंगरेज़ी इलाके पर हमला न कर सके। मार्किस वेल्सली को अपने इस प्रबन्ध को सफलता पर पूरा विश्वास था, उसने २४ मार्च सन् १८०५ को डाइरेक्टरों को लिखा:- __ "यह बात बिलकुल नामुमकिन मालूम होती थी कि होलकर इन सब सेमानों के हमले से बच कर निकल सके।" मार्किस वेल्सली को अपने इस प्रबन्ध से युद्ध के जल्दी समाप्त होने की भी आशा थी। किन्तु गवरनर जनरल और उसके साथियों की सब आशाएँ झूठी साबित हुई । जसवन्तराव ने इस समय पूरी तरह साबित कर दिया कि वीरता या युद्ध कौशल दोनों में से किसी बात में भी जनरल लेक या जनरल मॉनसन कोई उसे न पा सकता था। जनरल मॉनसन के प्रागरे की ओर भागते ही जसवन्तराव होलकर ने आगे बढ़कर अंगरेजों की पाँच पाँच होलकर का मथुरा सेनाओं से बचकर और अपनी सरहद को पार पर कब्ज़ा कर कम्पनी के इलाके मथुरा पर हमला किया।
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जसवन्तराव होलकर