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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज नियुक्त किया। स्वभावतः इन सब लोगों की हार्दिक सहानुभूति इस समय होलकर के साथ थी और दोनाब को अंगरेज़ों के पंजे से छुड़ाने के लिए दोश्राब की प्रजा, भरतपुर दरबार और जसवन्त- राव होलकर, तीनों के बीच पत्र व्यवहार होने लगा। जनरल लेक इस बात को जानता था, उसके अनेक पत्रों से प्रकट है कि वह होलकर को मिटाने के साथ भरतपुर के ___साथ इस समय भरतपुर की स्वाधीन रियासत प्रतिनीति को भी मिटा देने के लिए उत्सुक था। मुख्यकर इसलिए ताकि दोश्राब की भारतीय प्रजा को अपने विदेशी शासकों के विरुद्ध कोई सञ्चा नेता और होलकर को दोश्राब में कोई मददगार न मिल सके। जसवन्तराव होलकर अपने राज से कम्पनी की पाक्रमक सेना को निकाल कर बाहर कर चुका था। अंगरेज़ों विरुद्ध को इस बात का भय था कि कहीं वह उत्तर की विराट सैन्य ओर बढ़कर कम्पनी के इलाके दोआब पर हमला प्रायोजन न करे । अपने भारतीय इलाकों की रक्षा करने और जसवन्तराव को फंसाने के लिए बड़ी बड़ी तैयारियां की गई। गवरनर जनरल ने कम्पनी के डाइरेक्टरों के नाम २४ मार्च सन् १८०५ को एक पत्र लिखा, जिसमें उसने इन तैयारियों को विस्तार के साथ बयान किया है। दिल्ली, आगरा और मथुरा में सेनाएँ बढ़ाई गई और इन स्थानों तक पहुँचने के मार्गों की रक्षा का विशेष प्रबन्ध किया गया। इसके अतिरिक्त पाँच सेनाएँ पाँच ओर से