जसवन्तराव होलकर ७४५ बापूजी के लिए नदी को पैदल पार कर सकना असम्भव था। मजबूर होकर वह अपनी सेना सहित कोटा के निकट लौट आया। इतने में होलकर की सेना ने पीछे से आकर कोटा को घेर लिया। बापूजी अब अच्छी तरह समझ गया कि होलकर के विरुद्ध अंगरेजों का साथ देना सींधिया और उसके देश किसी के लिए भी हितकर नहीं हो सकता। बापूजी और उसकी सेना की जान इस समय होलकर के हाथों में थी। लाचार होकर राजा ज़ालिमसिंह के समझाने पर और स्वयं अपने सिपाहियों के ज़ोर देने पर बापूजी सींधिया अपनी सेना सहित अब होलकर के साथ मिल गया। मॉनसन १७ जुलाई को चम्बेली नदी पर पहुँचा । यह नदी भी खब चढ़ी हुई थी। मॉनसन ने सबसे पहले मॉनसन और ___ अपने तोपखाने को हाथियों पर पार किया। उसकी सेना उसके बाद धीरे धीरे कुछ को हाथियों पर, कुछ को लकड़ियों के बेड़ों पर, और कुछ को कहीं से रास्ता निकाल कर पैदल, इस प्रकार उसने दस दिन के अन्दर समस्त सेना महित चम्बेली को पार किया। होलकर के कुछ सवार बराबर कोटा से बढ़ कर मॉनसन की सेना को दिक करते रहे । इस भगदड़ में मॉनसन के सैकड़ों सिपाही शत्रु के हाथों मारे गए, सैकड़ों बीमारियों से मरे' और सैकड़ों ही नदी में डूब गए या कीचड़ में फंस कर रह गए । ग्राण्ट डफ़ लिखता है कि अन्त में तो अनेक हिन्दोस्तानी सिपाहियों की स्त्रियाँ और उनके बच्चे चम्बेली के इस पार रह गए, और आस पास की पहाड़ियों से भीलों ने
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जसवन्तराव होलकर