पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३२२

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जसवन्तराव होलकर

जसवन्तराव होलकर ७३१ दौलतराव सोंधिया भी अपनी असहाय स्थिति को थोड़ा बहुत समझता था; फिर भी वह बराबर ग्वालियर के किल और गोहद के इलाके दोनों के विषय में अपने न्याय्य अधिकार पर ज़ोर देता रहा। इसके अतिरिक्त सोंधिया को अंगरेजों के विरुद्ध इस समय एक और . बरदस्त शिकायत थी। अहमदनगर का अहमदनगर का किला पिछली सन्धि के अनुसार अंगरेज़ों को इलाका मिल गया था। किन्तु अहमदनगर से मिले हुए कुमारकुण्डा, जामगाँव इत्यादि सींधिया के कई परगने थे । सन्धि में यह तय हो गया था कि इन परगनों में सींधिया को नियत संख्या से अधिक सेना रखने की इजाज़त न होगी; किन्तु यदि उन परगनों के लोग या वहाँ का कोई ज़मींदार सींधिया के विरुद्ध उपद्रव करेगा या यदि सींधिया को वहाँ की मालगुजारी वसूल करने में किसी तरह की कठिनाई होगी तो सींधिया के तहसीलदार अहमदनगर किले के अंगरेज़ किलंदार से इस बात की शिकायत करेंगे और अंगरेजी सेना फ़ौरन मौके पर पहुँच कर उपद्रवों को शान्त करेगी और मालगुजारी वसूल करने में सोंधिया के श्रादमियों को मदद देगो। किन्तु इसके विपरीत सन्धि के होते ही श्रास पास के भीलों और अन्य लोगों ने-अंगरेज़ अफ़सरों के उकसाने पर- महाराजा सींधिया के इन परगनों पर धावे मारना, और लूट मार करना शुरू कर दिया । परिणाम यह हुआ कि थोड़े ही दिनों में सींधिया का वह इलाका वीरान दिखाई देने लगा, यहाँ तक कि.