पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३२०

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जसवन्तराव होलकर

जसवन्तराव होलकर ७२६ "इस विषय पर यदि न्याय के साथ विचार किया जाय तो जिस सन्धि को तोड़ दिया जाय वह ऐसी ही है जैसे कभी की ही नहीं गई । इस मामले में यदि पूर्वोक्त सिद्धान्त का उपयोग किया आय तो मालूम होगा कि ये इलाके सन्धि से पहले सींधिया ही के कब्जे में थे, सींधिया ने इस सन्धि द्वारा या किसी भी दूसरे पत्र या समझौते द्वारा ये इलाके हमारे नाम नहीं किए, इसलिए ये इलाके सींधिया ही को मिलने चाहिएँ। ___ "राजनैतिक दृष्टि से x x x पिछले युद्ध में और सुलह की बातचीत करने में मैं अनेक कठिनाइयों को केवल इसलिए पार सका, क्योंकि लोगों को अंगरेज़ों के वादों पर एतबार था ।"* वास्तव मे गोहद का राजा शुरू से सींधिया का सामन्त था। अंगरेज़ अब इस राजा को सींधिया से फोड़ कर अपनी ओर रखना चाहते थे। इसलिए गवरनर जनरल ने सन्धि की शर्तों की ज़रा भी परवा न कर जनरल लेक को लिख कर ज़बरदस्ती गोहद का इलाका और ग्वालियर का किला, गोहद के राजा के नाम पर • “ The fair way of considering this question is, that a treaty broken 16 in the same state as one never made and when that principle is applied to this case, it will be found that Scindhia, to whom the possessions belonged, before the treaty was made, and by whom they have not been ceded by the treaty of peace, or by any other instrument, ought to have 'them "In respect to the pohcy of the question, What brought 'me through many difficulties in the war and the negotiations for peace. The British good faith, and nothing else"--General Wellesley to Major Malcolm, 17th March, 1804