पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३१४

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७२३
जसवन्तराव होलकर

जसवन्तराव होलकर ७२३ उद्देश जयपुर के राजा पर दबदबा जमाकर उसे होलकर के विरुद्ध अपनी ओर करना था। जसवन्तराव समझ गया कि अंगरेज़ धोखे से मुझ पर हमला करना चाहते हैं । जो अनेक "प्राइवेट" पत्र इस समय लेक ने गवरनर जनरल को लिखे हैं, उनमें अंगरेजों के पुराने मित्र और हितसाधक जसवन्तराव के लिए "शैतान" ( Devil ), "डाकू" ( Robber ) जैसे शब्द उपयोग किए गए हैं, और जसवन्तराव की माँगों को “धृष्टता" ( Insulting ) बतलाया गया है। कहा जाता है कि इसी समय जसवन्तराव होलकर के कुछ पत्र जनगल लेक के हाथों में पड़े, जिनमें जसवन्तराव भारत के कुछ हिन्दू और मुसलमान नरेशों को अंगरेजों के खिलाफ़ अपने साथ मिलाने के लिए साज़िश कर रहा था। जसवन्तराव अंगरेज़ों के बदले हुए रुख को इस समय आँखों से देख रहा था । वह देख रहा था कि अंगरेज़ ऊपर से उससे मित्रता की बाते कर रहे थे, साथ हो अपने वादों को टाल रहे थे, उसकी सेना के अफसरों को अपनी ओर फोड़ रहे थे और उसकी सरहद पर फौजें जमा कर रहे थे। वह अब इस बात को समझने लगा था कि केवल स्वार्थ की द्दष्टि से भी यदि उसने अपने जीवन में कोई सबसे बड़ी भूल की थी तो वह यह कि उसने इन विदेशियों के वादों और उनकी मित्रता पर विश्वास किया। ऐसी सूरत में उसका भारत के अन्य हिन्दू और मुसलमान नरेशों की सहानुभूति अपनी ओर करने का प्रयत्न करना कोई विचित्र बात न थी। फिर