पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३०६

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जसवन्तराव होलकर

जसवन्तराम होलकर "माननीय मेजर जनरल सखी का स्थान बसवन्तराव होलकर के नेमे से इतनी अधिक दूर है कि वहाँ से पत्र व्यवहार करमा कठिन होगा; और चूंकि इस काम के लिए भापकी जगह अधिक सुविधा की होगी, इसलिए मेरा विचार है कि आप तुरन्त जसवन्तराव होलकर के साथ पत्र व्यवहार शुरू कर दें।" इतना ही नहीं, वरन् जिस जसवन्तराव ने अंगरेज़ों का इतना उपकार किया था और जिसे नागपुर की नज़र कैद से निकाल कर अंगरेज़ों ही ने पेशवा और सींधिया दोनों से लड़ा कर होलकर कुल की गही तक पहुँचाया था, और जिसे सींधिया से फोड़े रखने के लिए हाल ही में उन्होंने नए इलाके देने का वादा किया था, उस जसवन्तराव के विषय में अब इस पत्र में मार्किस वेल्सली ने लिखा- ___ "होलकर कुल के राज के ऊपर खण्डेराव के नाम पर जसवन्तराव होलकर ने जो अपना अधिकार जमा रक्खा है, वह साफ सौर पर तुकाजी होलकर के न्याय्य उत्तराधिकारी काशीराव होलकर के अधिकारों का बलात् अपहरण है। इसलिए न्याय के सिद्धातों का विचार रखते हुए अंगरेज सरकार और जसवन्तराव होलकर के बीच कोई ऐसा समझौता नहीं हो सकता, जिसका मतलब यह हो जाय कि हम काशीराव होलकर को उसके पैतृक राज से वञ्चित रखने पर सहमत हैं।" और श्रागे चलकर- "अंगरेज सरकार को इस बात का न्याय्य अधिकार है कि पेशवा से इजाजत लेकर और पेशवा की भोर से, समझौते द्वारा या बल प्रयोग द्वारा