पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२९८

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साम्राज्य विस्तार

साम्राज्य विस्तार सन्धि करके मिल मायणा । इन सेनाओं के हार जाने के कारण अम्बाजी फौरन सन्धि के लिए राजी हो जायगा।" अगले दिन लेक ने गवरनर जनरल को लसवाड़ी ही से फिर एक पत्र लिखा- जयपुर नरेश को "ज्योंही मैं अपने घायलों को यहाँ से हटा सका, भय प्रदर्शन - मैं उस सन्दिग्ध चरित्र के मनुष्य अम्बाजी की भोर कूच करूंगा। किन्तु पहले मैं धीरे धीरे वढू गा, क्योंकि जयपुर के राजा के उपर मैं यह असर डालना चाहता हूँ कि यदि वह शीघ्र राज़ी न हो गया तो मैं जयपुर की ओर बढ़ने वाला हूँ । मेरा उहेश केवल यह है कि वह डर कर जल्दी से फेसला कर डाले । इस समय मालूम होता है वह बहुत सन्दिग्ध खेल खेख रहा है।" निस्सन्देह जनरल लेक का "उद्देश केवल डर दिखाना" था। उसे अभी तक जयपुर अथवा ग्वालियर दोनों में से किसी पर भो हमला करने की हिम्मत न थी। राजपूताने के राजाओं के साथ बहुत दिनों से साज़िश जारी थीं। किन्तु बिना अम्बाजी के फूटे ."I feel happy in having accomplished all your wishes, except Gwalior, which I trust we shall get possession of by treaty with Ambajee; the fall of these brigades will bring him to terms immediately."-Lake's Letter to Marquess wellesley, 2nd November, 1803. __+ " I shall as soon as I can move my wounded men, begin my march towards that doubtful character, Ambajee, but I shall in the first instance proceed but slowly, as I wish to impress the Raja of Jeypore with an idea, that, if he does not come to terms shortly, I may pay him a visit. AllI mean by this is to alarm him into some decisive measure%; he seems at present to be playing a very suspicious game."-Lake's letter to Governor- General, marked "Private," dated November 3rd, 1803.