भारत में अंगरेजी राज फासीसियों में से दी बाइन वारन हेस्टिंग्स का एक खास आदमी था और वारन् हेस्टिंग्स ही की सिफारिश पर माधोजी सौंधिया ने उसे अपने यहाँ नौकर रखा था, और इसी युद्ध में साबित हो गया कि दी वॉइन का उत्तराधिकारी कप्तान पैरों भी अंगरेजों से मिला हुआ था और अंगरेज़ कम्पनी के हिसाब में उसके नाम से एक भारी रकम तक जमा थी 18 ____७ अगस्त सन् १८०३ को जनरल लेक इस सब इलाके को विजय करने के लिए कानपुर से सेना सहित रवाना हुश्रा । २८ अगस्त को वह सींधिया की सरहद पर पहुँचा । २६ को उसने बड़ी आसानी से सींधिया के सरहदी किले कोयल को विजय कर लिया। उसी दिन जनरल लेक ने मार्किस वेल्सली के नाम एक 'प्राइवेट' पत्र में इस सरल विजय का कारण यह बताया है कि- "कप्तान पैरों के कुछ साथी, विशेष कर जाट और सिक्ख अंगरेजों के पहुंचने से पहले ही किला छोड़ कर चले गएxxx और मराठा सेना के छ यूरोपियन अफ़सर सींधिया की नौकरी छोड़ कर अंगरेजी सेना की ओर पा मिले।" कोयल पर कब्जा करने के बाद जनरल लेक ने अलीगढ़ पर • "Proneer" 4th September, 1903. + " . . Some of his (M. Perron's) confederates left hum the moment they beard of our approach, particularly the Jauts, and a few Sikhs Six officers of Perron's second brigade are just come in, having resigned the service "-General Lake's "Private" letter to Marquess Wellesley, dated 29th August, 1803
पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२८५
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६९४
भारत में अंगरेज़ी राज