साम्राज्य विस्तार इस अस्थायी सुलह द्वारा घेल्सली सींधिया को धोखा देकर, अपनी तैयारी करके उस पर अचानक हमला करना चाहता था। २४ नवम्बर को वेल्सली ने करनस्ल क्लोज़ को लिखा :- "लदाई बन्द करने को मैं इसलिए राजी हो गया क्योंकि जैसा मैं २४ अक्तूबर को गवरनर जनरल को लिख चुका हूँ, मैं सीधिया को और हानि पहुँचाने में असमर्थ हूँ; क्योंकि सींधिया की सवार सेना को नुकसान पहुंचा सकना मेरे लिए असम्भव है; और क्योंकि गुजरात के लिए तथा गाविखगड के किले के लिए मैं जो कुछ योजनाएं कर रहा हूँ, उनमें सोंधिया मुझे नुकसान पहुंचा सकता है । बापू जी सींधिया को उसने गुजरात की भोर मेज भी दिया है; और मेरा राजनैतिक लक्ष्य यह है कि बरार के राजा और सींधिया में फूट डलवा दूं और इस प्रकार वास्तव में मराठा मण्डल को तोड़ दूं।" उसी दिन वेल्सली ने जो पत्र गवरनर जनरल को लिखा, उसके नीचे लिखे वाक्य घेल्सली के इरादे को वेल्सली का और भी स्पष्ट कर देते है- नैतिक आदर्श ____ "यदि लड़ाई बन्द कर देने के इस अवसर से and would prevent the operations against the Raja of Berar, . . . ."- General Wellesley's letter to Major Shawe quoted above. • "I have agreed to the cessation of hostilitues on the ground of my incapability to do Scindhha further injury, as stated in my dispatch to the Governor-General on the 24th of October, on that of it being impossible to injure his army of borse , on that of the injury he may do me in the opera- tions against Gawilgurhand in Gujrat, to which quarter he has sent Bapuji Scandhia, and on the political ground of dividing his interests from those of the Raja of Berar, and thereby in fact, dissolving the Confederacy."-- General Wellesley's letter to Colonel Close, dated 24th November, 1803.
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