पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२६७

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भारत में अंगरेज़ी राज

६७६ भारत में अंगरेज़ी राज भोसले को अभी तक या भी तो अब वह सब खत्म हो जायगा और खुद बजुद इन दोनों मराठा नरेशों को मित्रता टूट जायगी।" जनरल वेल्सली बल्कि दोनों वेल्सली भाई पाश्चात्य कूटनीति के बड़े पक्के खिलाड़ी थे। इसी पत्र में आगे सींधिया और ____ चल कर जनरल वेल्सली ने लिखा :- भोंसले में फूट डालने के प्रयत्न "मैं गवरनर जनरल को सूचित कर चुका हूँ कि दौलतराव सींधिया को और अधिक नुकसान पहुंचा सकना मेरी शक्ति से बाहर है ।xxx "मैदान में सींधिया की सारी सेना सवारों की है । इस सेना पर हम किसी तरह का असर डालने की कभी कोई भाशा नहीं कर सकते जब तक कि बहुत दिनों तक और बहुत दूर तक उसका पीछा न करते रहें। यदि हम ऐसा करें तो हमारी सेनाएं, जो इस समय भी रसद मिलने के स्थानों से दूर हो गई हैं और भी अधिक दूर हो जायेगी और बरार के राजा के विरुद्ध फिर हम कुछ न कर सकेंगे।xxx"t • “The Raja of Berar's troops are not included in it, and consequently there becomes adivision of interest between these two chiefs All confidence in Scindhia, if it ever existed, must be at an end, and the confederacy is, Iprofacto, dissolved "-General Wellesley's letter to Major Shawe, Private Secretary to the Governor-General,dated 23rd November, 1803 + “I have already apprized the Governor-General that it was not in my power to do anything more against Doulat Rao Scindhia . . "Scindhia has with him in the field an army of horse only It is impossible to expect to make any impression upon this army, unless by following it for agreat length of time and distance, to do this would remove our troops still farther than they are already from all the sources of supply,